जहा देश की जनता ने धर्म, जाति सम्प्रदाय पन्थ एवं अनेक समाजिक बन्धनो से अलग होते हुए विकास को मुद्दा बनाकर मोदी जी को देश की बागडोर सौपी ।
जहा देश की जनता ने मोदी जी को विकास के मुद्दे पर उनके सारे कि विपक्षियो को करारा जवाब ही नही अपितू
धर्मनिर्पेक्ष की परिभाषा और ब्याख्यान पर सोचने को मजबूर कर दिया जो काविले तारीफ़ है।
अब तक आजादी के बाद देश मे शायद पहली बार ही ऐसा राजनितिक बद्लाव देखने को मिला होगा ।
जाहा देश एक तरफ़ कान्ग्रेस परिवार व क्षेत्रीय पार्टियो के मनमौजी राजनीतिक एवं समाजिक भ्रष्टता से उवने के बाद देश की जनता ने मोदी जी को विकस पुरुष के रूप मे विश्व पटल पर ला दिया।
इस की वजह जो भी रहा हो जो सफ़लता बी.जे.पी. को उसके इतिहास मे अब तक नही मिली हो न उसने ऐसी उम्मीद ही की हो परतु वो सपना साकार हुआ है जो शायद उनके बडे राजनितिक विषलेशको और चिन्तको ने न देखी हो।
ऐसा नही है कि बी.जे.पी मे मोदी के स्तर का कोई और नेता नही हुआ या नही है , परन्तु जो
सबसे बडी बात यह रहा है की मोदी ने किसी भी रैली या जनसभा मे केवल एक ही मुदा आगे रखा ओर एक ही सपना दिखाये वो विकास का ।
मोदी जी आज भी कही भी जाते है, तो एक ही बात की रट लगते है वो विकास का, वो हर क्षेत्र राज्य को विकास के मुदे पर लोगो को जोडने का काम करते है , भले ही आम जनता को यह नही पता विकास जो सपने वो जो दिखा रहे है, वो सच भी होगे या नही ।
कया जो सपने मोदी जी ने जनता को दिखाये वे उन सपने को साकार करेगे कि नही अब उसमे कही न कही सवाल खडे कर रहे है। पता नही क्यो देश जब-जब विकास के मार्ग पर अग्रसर होता दिखता है,तो उसकी विविधताये उसके मार्ग मे अवरोध उत्पन्न कर देती है।
आज एक तरफ़ धर्मान्तरण का मुद्दा जोर शोर से चलाया जा रहा है, क्या वह वास्तव मे विकास के मार्ग से भटकाने का प्रयास तो नहि कर रहे है? बी. जे. पी. का एक बडा तबका जो इसका पक्षधर है, क्या उसके लिये यही उचित समय है? क्या उनको जनता ने जनाधार इसलिये दिया है कि वे आदर्श ग्राम योजना,जनधन योजना, स्वक्ष भारत अभियान इत्यादि योजनाओ को दरकिनार करते हुये हिन्दु जागरण मन्च से घर वपसि कराये ।
जनसभाओ मे विकास कि बात करने वाले धर्मान्तरण मुद्दे की आहुती कर रहे है।
माननिय मोदी जी की कही न कही संसद के अलावा जनता के प्रति भी जबाबदेही बनति है । क्युकि जनता ने जिस आधार पर जनाधार दिया था वो मुद्दा विकास का था, भ्रस्टाचार मुक्त भारत का था, वो मुद्दा नौजवानो के रोजगार के लिये था, वो मुद्दा महिल सुरक्षा का था, वो मुद्दा सशक्त और सुद्रिढ भारत के लिये था न की सम्प्रदायिक तनाव के लिये था।
मोदी जी को उन सारे संगठनो और माननिय साथियो को अपने मनसा से अवस्य अवगत कराना चाहिये उन पर अन्कुश अवस्य लगाना चाहिये।
अपने अटल और मजबुत इरादो से जनता के दिलो मे जगह बनाना चाहिये, नहि तो समाज क वो हिस्सा जो इतने अर्से बाद भेदभाव भुलाकर केवल विकास के मुद्दे पर एक हुआ था उसमे विस्वास दिलते हुये उनके दिलो पर एक नया छाप छोडना होगा।
मोदी जी को वाजपेयी जी कि उन पंक्तियो पर जोर अवस्य देना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा॥
मुकेश पाण्डेय
जहा देश की जनता ने मोदी जी को विकास के मुद्दे पर उनके सारे कि विपक्षियो को करारा जवाब ही नही अपितू
धर्मनिर्पेक्ष की परिभाषा और ब्याख्यान पर सोचने को मजबूर कर दिया जो काविले तारीफ़ है।
अब तक आजादी के बाद देश मे शायद पहली बार ही ऐसा राजनितिक बद्लाव देखने को मिला होगा ।
जाहा देश एक तरफ़ कान्ग्रेस परिवार व क्षेत्रीय पार्टियो के मनमौजी राजनीतिक एवं समाजिक भ्रष्टता से उवने के बाद देश की जनता ने मोदी जी को विकस पुरुष के रूप मे विश्व पटल पर ला दिया।
इस की वजह जो भी रहा हो जो सफ़लता बी.जे.पी. को उसके इतिहास मे अब तक नही मिली हो न उसने ऐसी उम्मीद ही की हो परतु वो सपना साकार हुआ है जो शायद उनके बडे राजनितिक विषलेशको और चिन्तको ने न देखी हो।
ऐसा नही है कि बी.जे.पी मे मोदी के स्तर का कोई और नेता नही हुआ या नही है , परन्तु जो
सबसे बडी बात यह रहा है की मोदी ने किसी भी रैली या जनसभा मे केवल एक ही मुदा आगे रखा ओर एक ही सपना दिखाये वो विकास का ।
मोदी जी आज भी कही भी जाते है, तो एक ही बात की रट लगते है वो विकास का, वो हर क्षेत्र राज्य को विकास के मुदे पर लोगो को जोडने का काम करते है , भले ही आम जनता को यह नही पता विकास जो सपने वो जो दिखा रहे है, वो सच भी होगे या नही ।
कया जो सपने मोदी जी ने जनता को दिखाये वे उन सपने को साकार करेगे कि नही अब उसमे कही न कही सवाल खडे कर रहे है। पता नही क्यो देश जब-जब विकास के मार्ग पर अग्रसर होता दिखता है,तो उसकी विविधताये उसके मार्ग मे अवरोध उत्पन्न कर देती है।
आज एक तरफ़ धर्मान्तरण का मुद्दा जोर शोर से चलाया जा रहा है, क्या वह वास्तव मे विकास के मार्ग से भटकाने का प्रयास तो नहि कर रहे है? बी. जे. पी. का एक बडा तबका जो इसका पक्षधर है, क्या उसके लिये यही उचित समय है? क्या उनको जनता ने जनाधार इसलिये दिया है कि वे आदर्श ग्राम योजना,जनधन योजना, स्वक्ष भारत अभियान इत्यादि योजनाओ को दरकिनार करते हुये हिन्दु जागरण मन्च से घर वपसि कराये ।
जनसभाओ मे विकास कि बात करने वाले धर्मान्तरण मुद्दे की आहुती कर रहे है।
माननिय मोदी जी की कही न कही संसद के अलावा जनता के प्रति भी जबाबदेही बनति है । क्युकि जनता ने जिस आधार पर जनाधार दिया था वो मुद्दा विकास का था, भ्रस्टाचार मुक्त भारत का था, वो मुद्दा नौजवानो के रोजगार के लिये था, वो मुद्दा महिल सुरक्षा का था, वो मुद्दा सशक्त और सुद्रिढ भारत के लिये था न की सम्प्रदायिक तनाव के लिये था।
मोदी जी को उन सारे संगठनो और माननिय साथियो को अपने मनसा से अवस्य अवगत कराना चाहिये उन पर अन्कुश अवस्य लगाना चाहिये।
अपने अटल और मजबुत इरादो से जनता के दिलो मे जगह बनाना चाहिये, नहि तो समाज क वो हिस्सा जो इतने अर्से बाद भेदभाव भुलाकर केवल विकास के मुद्दे पर एक हुआ था उसमे विस्वास दिलते हुये उनके दिलो पर एक नया छाप छोडना होगा।
मोदी जी को वाजपेयी जी कि उन पंक्तियो पर जोर अवस्य देना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा।
कदम मिलाकर चलना होगा॥
मुकेश पाण्डेय