Thursday, January 10, 2013

सभ्य समाज मे नारी का वजूद...

६३ वर्ष पुर्व गण्तान्त्रिक और लोक्तान्त्रिक का दावा करने वाला भारत आज भी उन्ही हालतो से गुजर रहा है जहा वह इससे पुर्व था।
लालकिले व रास्ट्रपति भवन के प्राचीर से तिरन्गा लहरा देना और दो सच्चे झुठे वादे कर देने से कोइ देश प्रजातान्त्रिक होने का दावा
नही कर सकता नही, दुनिया का विशाल संविधान बना देने से उसके प्रजान्त्रिक होने का दावा सत्यार्थ हो जाता है।

आज़ादी के इतने वर्षो के उपरान्त भी अगर हम एक अच्छे समाज का निर्माण नही कर सकते, जहा पर आप को किसी भी तरह का वन्दिश या पाबन्दी नही है, तो फिर दुसरो पर अपनी नाकामियो का इल्ज़ाम कैसे लगा सकते है।

हम आम नागरिक हमेशा सरकार से ये उम्मीद रखते है कि, वो हमारे बारे मे सोचे वो हि एक स्वस्थ और अच्छे समाज का निर्माण करे ,और हम अपने  कर्तब्यो से पीछा छुडा ले और सारे के सारे इल्जाम सरकार पर थोप दे।
मेरे कहने का मकशद यह नही की सरकार जिम्मेद्दार नही है, या उसकी जिम्मेदारि नही बनती या हम सब निसक्रिय हो गये है।

जो सबसे बडा प्रश्न हमारे जेहन मे है वो यह है कि, क्या कुछ लोगो की वजह से पुरा समाज व देश अपने आप को कलन्कित महशुस करने लगा है। अभी फिल्हाल मे जो घट्ना घटित हुयी , उससे पुरा देश अपने आप मे शर्मशार हो गया। जहा हम कुछ रोज पहले बैठकर नयी उप्लब्धियो के बखान मे लगे थे यह कहकर अच्छा लगता था कि अब वो जमाना नही रहा जहा बेटे और बेटियो मे फ़र्क हो । गावो मे भी आम लोग कहते थे कि मेरी बेटी ही मेरे बुडापे की लाठी है,मेरी बेटी वो सब कर सकती जो एक लडके को करना चाहिये।

इसमे कोइ दो राय नही कि इस तरह के बद्लाव मे सरकार कि भुमिका न रही हो,सरकार ने भी विभिन्न तरह की योजनाये निकाली यहा तक महिला रिजर्वेशन जैसे बिल भी लाने के लिये प्रयास किये गये। इससे बडी उप्लव्धि क्या होगी जिसमे पिछ्ले गत वर्षो मे देश के उच्चतम पदो पर महिलायो का दबददा रहा हो।


इतने सारे बद्लावो के बाद इतनी बडी घटना घटने का मतलब तो सिर्फ़ यही निकलता है कि चाहे कुछ भी हो , हम अपनी मनसिकता नहि बदल सकते । हम अभी भी साम होने का इन्तजार करेंगे और सुन्सान  जगह पर किसी न किसी अबला को अपने हबश का शिकार बनायेंगे।

अगर हम एक अच्छे और स्वश्थ समाज का निर्माण करना  चाहते है तो, अपने अलावा उन लोगो की मान्सिकत भी बदलनी होगी जो नारी समाज को अपने से अलग मान्ते है,उन्हे ये भी सिख देनी होगी नारी  ऐसी कोई वस्तु नहि जिसका उपयोग हम अपने केवल निजी श्वार्थ के लिये करे।

उन्हे यह भी बताना होगा की वो हमसे अलग नहई है नही वो कमजोर और लाचार है, वो हमसे आपसे बेहतर है और उनके बिना कोई कार्य पुरा नही हो सकता। वो हमारी मां भी है और बहन भी।

 मुकेश