Friday, April 24, 2009

देश के प्रति युवाओं का उत्तरदायित्व:

देश के प्रति युवाओं का उत्तरदायित्व ः

दो अक्षरो से बना शब्द युवा जिसमे इतनी शक्‍ति, सहनशीलता और प्यार भरा हुआ, एक ऐसा उत्साह है, जिससे कोई भी, देश कोई भी समाज अपने आप को गार्वान्वित समझ सकता है । इसमें इतनी शक्‍ति है, जिससे किसी भी ताकत का मुकाबला किया जा सके । अगर हम इस शब्द पर ध्यान दें । या इसका समय पर प्रयोग करें तो यही युवा वायू बन जाती है । और आप वायु का अर्थ , एवं इसका उपयोग भी जानते है । वायु में इतनी शक्‍ति या ताकत होती है की यह प्राण वायु के रूप में हर जीव में विद्यमान होती है , तथा समय आने पर प्रलय भी लाती है ।
किसी देश अथवा समाज की सबसे बड़ी सम्पत्ति है- मानव संसाधन और मानव संसाधन में सबसे उपयुक्‍त एवं भाग युवाओं का है । जिससे यह तो सिद्ध हो ही जाता है , कि युवा ही एकमात्र ऐसी क्षमता है, जिससे हम किसी भी बड़े से बड़े इमारत की नींव रख सकते है । और युवा रूपी नींव उस विकास को गगन-चूंम्बी इमारतों को जीवित भी रख सकती है । हम अधिक नही छोटी घटनाओं का उदाहरण देकर इसकी पृष्ठि कर सकते है- बात उन दिनों की है, जब हमारा देश अपना अस्तित्व, अपने संस्कार, अपना सबकुछ, यू कहे तो अपनी पहचान खो रहा था, उस समय भी युवाओं वे इसकी बागडोर संभाली देश को एक नयी पहचान दिलायी । वो युवा ही थे जिन्होंने बहुत कम समय में बड़ी सहजता से एक ऐसा सुत्र दे गये जो आने वाली नश्लों के लिये एक वरदान साबित हुआ है । वो इसी मिट्टी के बने मात्र २० से ३० साल के वीर सपुत थे जिन्होंने हंसते-हंसते देश के लिए, आने वाले वंशज, पीढ़ियो के लिए फाँसी को गले लगा लिया ।
हम आज के युवा उनके बलिदानों को क्यों व्यर्थ जाने दें ? प्रश्न यह नही है हमारा देश तब गुलाम था, और आज हम आजाद है । प्रश्न यह है कि हम अपने देश व समाज को कुछ ऐसी पहचान दें जिससे हमारा समाज ही नही यहा का हर नागरिक अपने आप को इस देश में रहने का कार्य का, तथा देश के लिये किसी भी योगदान के लिये अपने आप पर गर्व कर सकें कि ‘ हम उस देश के वासी है, जिस देश मे, आज भी ‘अतुल्य भारत’, ‘अनेकता में एकता’, ‘अतिथिः देवो भवः’, जैसी चीज केवल पुस्तको में नही अपितु वास्तविक रूप से विद्यमान है ।
हमारे देश में बहुत सारी कमियां भी है, जिसे दूर करना है । हमें संकल्प लेना है, कि जो गलतियां हमारे पूर्वजों ने की है, हम उसे कभी नही दोहरायेगें । हमें कसम है, इस देश के हर उन जवानो की जिन्होंने विभिन्‍न क्षेत्रों में अपना योगदान दिया है । मानता हूं, कि कोई भी देश पूर्ण नही होता लेकिन उसको पूर्ण बनाना हमारी जिम्मेदारी बनती है । इस देश में फैली हुई सभी सामाजिक बुराइयों पर विजय पाना है । अगर हम इस देश को उत्कृष्ठ बनाना चाहते है तो हमें उन तमाम सामाजिक बुराइयो को जड़ से समाप्त करना होगा । हम जानते है कि अगर इसे कोई कर सकता है तो वो और कोई नही बल्कि युवा है । क्योंकि इसमें बहुत ही धैर्य, प्यार, जोश और शक्‍ति की आवश्यकता होगी ।
किसी भी समाज के विकास में शिक्षा काम बहुत बड़ा योगदान रहा है । क्योंकि जो युद्ध तलवार से नही जीती जा सकती वो कलम की ताकत पर जीती जा सकती है । जैसा की धर्मवीर भारती ने लिखा है ।

कलम देश की बड़ी शक्‍ति है , भाव जगाने वाली ।
दिल ही नही दिमागों में भी आग लगाने वाली । ।

हम सपथ ले कि हम ही इस देश के वर्तमान है । जिससे भविष्य का वो सारा दारोग्यदार है । जिस तरह मजधार में एक नाविक का उस पर बैठै सारे यात्रियों की जिम्मेदारी होती है हम उस भूत के लिये भी उतना ही उत्तरदायी है , जितनां भविष्य के लिये क्योंकि इस जग की नींव आज के उन लोगों द्वारा छेडी गयी है जो आज हमारे बीच नहीं है ।
‘ आज के नौजवानों से हमारा यह आहवान है कि आप कोई कार्य करते हो चाहे शिक्षा के क्षेत्र में हो , खेल के क्षेत्र में हो या कला एवं मनोरंजन के क्षेत्र में हो आप को निष्ठावान एवं चरित्रवान होना पड़ेगा । स्वामी जी विवेकानंद ने कहा है, कि-
“ विश्‍व का इतिहास मात्र कुछ लोगों द्वारा लिखा गया है । जो चरित्रवान है । ”
और किसी भी महान कार्य को करने के लिये कठिन परिश्रम, समय एवं निरंतर प्रयास की आवश्यकता होती है । अगर इसमें कुछ लोग असफल भी हो जाते है तो उनकी परवाह न करते हुए निरंतर कठिन प्रयास से महान कार्य पूरे हो जाते हैं ।