कहावत है, अंत भला तो सब भला, ऐसा लिखने के लिए मैंने इसलिये सोचा क्योंकि २००९ की अंतिम शाम है, आज 31 दिसम्बर हैं, और यह इसलिए मैने सोचा कि----
इस साल में हजारों उतार-चढ़ाव देखने को मिले अंतत: हम इसे सुखद कह सकते हैं ।
माना कि २००९ में ही मंदी का असर पूरे विश्व में छाया रहा, लेकिन अंततः यह साल के आखिर में छंटा तो सही-
२००९ में ही तो भारत खेल की दुनिया में रिकॉर्ड ऑफ बुक में छाया रहा । विशेषकर क्रिकेट इतिहास का यादगार साल तो रहा सचिन तेंदुलकर ने जहाँ नये-नये कीर्तिमान स्थापित किये वहीं, सहवाग का कैरियर जो डाउन हो रहा था, एक नई ऊँचाई को छू गया और अंततः अंग्रेज खिलाड़ी को दशक का सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी घोषित किया ।
यह अलग ही बात है कि अन्य क्षेत्रों में हम उतनी तरक्की नहीं कर सके- सुरक्षा के दृष्टिकोण से कभी पाकिस्तान की तरफ से खतरा मंडराया तो कभी, समय-समय पर चीन ने अंदर घुसने का प्रयास भी किया । कहीं-कहीं घुसपैठ तो हुआ लेकिन बड़ा आतंकवादी हमला नहीं हो सका, जो यह पुष्टि करता है कि चिंदबरम साहब ने हिसाब-किताब के अलावा आंतरिक सुरक्षा भी दुरूस्त रखी-
राजनीतिक क्षेत्र में भी अपने देश का परचम रहा । स्वयं प्रधानमंत्री व्हाइट हाउस के चीफ गेस्ट रहे । भले ही हम कोपेनहेगन वार्ता में उन्हीं लोगों के द्वारा आलोचना के शिकार हुए । मौजूदा सरकार ने पूरे देश में अपना वोट बैंक बढ़ाया तो भाजपा का सूरज निस्तेज जान पड़ा । लौह पुरूष कहलाने वाले आडवाणी के लिये यह वर्ष कष्टदायी रहा वहीं, एक नये चेहरे के रूप में गडकरी ने नया जीवन देने का प्रण लिया । महाराष्ट्र में बाबा साहब को नकारकर लोगों ने राज की कमान को स्वीकारा ।
मायावती पूरे साल अपने कारनामों की वजह से तो कभी अपने नेतृत्व की वजह से विश्व में शक्तिशाली महिला के रूप में सोनिया की सूची में स्थापित हुईं । यह अलग ही बात है, कि अपने ही देश में लोगों ने और स्वयं न्यायपालिका ने उन्हें लताड़ा ।
सोनिया गाँधी विश्व में शक्तिशाली महिला की सूची में शीर्ष पर रहीं तो, राहुल गाँधी के काम करने के तरीके और विचारों की वजह से युवाओं ने उन्हें अपना रोल मॉडल बनाया ।
पूरा साल फिल्म जगत के लिए कारोबार के हिसाब से खराब तो रहा लेकिन सदी के सर्वश्रेष्ठ महानायक ने एक बार फिर अपने दर्शकों और चहेतों के लिए ओरो बनकर लोगों को चौंकाया, वहीं इडियट से ही सही कारोबार में तेजी और आमिर खान को इडियट बनना और कहलाना भी पसंद आया, यह अलग बात है कि अब बच्चे भगत सिंह नहीं बल्कि इडियट बनना अधिक पसंद करेंगे । इसी साल ने हमें 4 ऑस्कर दिलवाये, जो अपने आप में गौरव की बात है ।
इसी साल ही तो गे. लेस्बीयन को साथ रहने का अधिकार मिला है । जो कम से कम यह दर्शाता तो है, कि हम अब पश्चिमी देशों से इस मामले में तो पीछे नही हैं । भले ही कोई नया अनुसंधान नहीं कर सके तो क्या हुआ हमें लडाकू विमान मिसाइलें भले ही बाहर से खरीदने पड़े तो क्या हुआ हमें प्यार करने के लिए केवल विपरीत सेक्स पर तो निर्भर नहीं रहना पड़ेगा ।
और अन्त में सिर्फ मैं आप सबसे यही उम्मीद करता हूँ कि आप लोग भी “बीती बिसारि के आगे की सुधि लेई”का अनुसरण कर अपने देश व समाज को एक नया उपहार देंगे ।
"आओ हम सब यह शपथ लें आज से
न कोई द्वेष रहे अपने आप से ।
मरकर भी देश की रक्षा करेंगे हम,
इस साल में सबसे आगे होंगे हम ।
वीर भगत वन जायेंगे, देश की खातिर,
भले ही कुर्बान होंगे हम ।
देश की शान बढ़ायेंगे हम,
दुनिया में अपना परचम लहरायेंगे हम ।"
- जय हिंद
मुकेश कुमार पाण्डे